जय जय जय कात्यायनी माता,
षष्ठम रूप में तुम हो विधाता।
महर्षि की तुम पुत्री कहलाई,
दुष्टों का तुमने संहार कराई।
खड्ग हाथ में, कमल सोहे,
सिंह पर बैठी, मन को मोहे।
विवाह की देवी, प्रेम दात्री,
आरती जय कात्यायनी माता
महिषासुर का वध करने वाली देवी है कात्यायनी माता, जो बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक स्वरूप हैं।
... कविता रावत
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