जय जय जय कात्यायनी माता,
षष्ठम रूप में तुम हो विधाता।
महर्षि की तुम पुत्री कहलाई,
दुष्टों का तुमने संहार कराई।
खड्ग हाथ में, कमल सोहे,
सिंह पर बैठी, मन को मोहे।
विवाह की देवी, प्रेम दात्री,
आरती जय कात्यायनी माता
महिषासुर का वध करने वाली देवी है कात्यायनी माता, जो बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक स्वरूप हैं।
... कविता रावत
5 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 28 सितंबर 2025 को लिंक की गई है....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
जय कात्यायनी देवी! भक्तिभाव से पूर्ण सुंदर रचना!
सुंदर
कात्यायनी देवी का सुंदर वंदन और वर्णन । अभिनंदन
एक टिप्पणी भेजें