उन एकदन्त गणेश की हम शरण में जाते हैं
जो गणेश अनन्त चेतनरूप हैं,
भेद अभेद रहित सृष्टि के आदि कारण हैं
उन एकदन्त गणेश की हम शरण में जाते हैं
उन एकदन्त गणेश की हम शरण में जाते हैं
जो सदा स्व हृदय प्रकाशित
निज बुद्धि स्थिर रहते हैं
जो जगत आदि के कारण हैं,
उन एकदन्त गणेश की हम शरण में जाते हैं
उन एकदन्त गणेश की हम शरण में जाते हैं
जो अद्वितीय रूप साक्षात् योगी हृदय प्रकाशित होते हैं
निरालम्ब समाधि से जाने जाते हैं,
उन एकदन्त गणेश की हम शरण में जाते हैं
उन एकदन्त गणेश की हम शरण में जाते हैं
जिनके बल माया समर्थ हुई
तब ये जग रचना संभव हुई है
जो नागस्वरूप आत्मारूपातीत हैं
उन एकदन्त गणेश की हम शरण में जाते हैं
उन एकदन्त गणेश की हम शरण में जाते हैं
जो सर्वजन अन्तःकरण गूढ़भाव रहते हैं,
जिनकी आज्ञा यह जगत् विराजमान है,
जो अनन्तरूप हृदय ज्ञान देने वाले हैं;
उन एकदन्त गणेश की हम शरण में जाते हैं
उन एकदन्त गणेश की हम शरण जाते हैं
जो एकदंत गजानन लम्बोदर
रिद्धि सिद्धि दाता देवगण पूजित हैं
जो सकल जगत के विघ्न हरते हैं
उन एकदन्त गणेश की हम शरण जाते हैं
... कविता रावत
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