गांवों में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन .... - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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सोमवार, 8 सितंबर 2025

गांवों में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन ....


          गांव की मिट्टी, हवा और पानी में एक ऐसी अलग ही ऊर्जा होती है, जो यहां के लोगों की रग-रग में समाई हुई होती है। गांवों में अनगिनत प्रतिभाएं छिपी होती हैं, जो अनुकूल मंच मिलने पर भले ही देर सबेर दुनिया के सामने आती हैं, लेकिन जब आती है तो दुनिया को एकदम से चौंका देती है।
ऐसा ही एक वाकया हमें तब देखने को मिला जब हमारे गांव से लगभग डेढ़-दो किलोमीटर की दूरी पर मनोरम पहाड़ी पर विराजमान मां देवी भगवती का मंदिर निर्माण हुआ तो उसके आस-पास गाय बकरी चराने वाले गांव के पांच-सात उत्साही लड़कों ने बैठे ठाले आपस में विचार-विमर्श किया कि क्यों न वे भी मां भगवती के मंदिर में अपना कोई योगदान दें क्योंकि वैसे भी बेकार में ही यहाँ-वहां पड़े रहते हैं। कहा भी गया है कि 'खाली दिमाग शैतान का घर होता है' इसीलिए सबने सोच विचार किया और देखा कि मंदिर का बाकी तो सब काम हो गया है, लेकिन अभी एक काम पेंट का छूटा है, तो उनमें से एक लड़के ने जिसका नाम द्वारपाल है, ने कहा कि वह मां भगवती मंदिर की खाली पड़ी दीवारों पर पेंटिंग कर अपनी कला का प्रदर्शन करना चाहता है, जिस पर सभी ने उत्सुकतापूर्वक हामी भरी और उन्होंने मिलकर उसके लिए पेंट ब्रश आदि की व्यवस्था की। वे सभी अति उत्सुक थे कि उनका साथी कैसी पेंटिंग बनाता है, क्योंकि इससे पहले उनकी आपस में इस विषय में कभी कोई बात नहीं हुई थी। द्वारपाल ने भी उनके उत्साह और उत्सुकता को बरकरार रखते जैसे-जैसे मंदिर की दीवार पर मां भगवती की पेंटिंग बनानी शुरू की तो सभी को उनकी इस छुपी कला को देखकर आश्चर्य मिश्रित खुशी हुई, उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि जिस बहुत महंगे दामों वाले पेंटर को वे गांव के बाहर से ढूंढ कर लाते थे, उसके नाज नखरे भी उठाते थे, उससे अच्छा और सच्चा मां भगवती का कला साधक तो उनके बीच था, उनके साथ था, जिसे उन्होंने इस विषय में कभी न जानने न समझने की कोशिश की। द्वारपाल ने जैसे ही माता रानी की मनोहारी, सुंदर आकर्षक पेंटिंग बनानी शुरू की तो उन्हें वही द्वारपाल 'घर का जोगी जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध' नजर आया।         
द्वारपाल ने जब मंदिर की दीवारों पर मां भगवती के दुर्गा, काली और सरस्वती को बहुत सुंदर, मनोहारीऔर आकर्षक रूप में उकेर कर अपनी अनूठी कला का प्रदर्शन किया तो सभी दंग थे, उन्हें अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो पा रहा था कि कोई कैसे अचानक से एकाएक एक मझे कलाकार की तरह अविश्वसनीय पेंटिंग बना सकता है। लेकिन उन्होंने जब देखा कि द्वारपाल ने जैसे ही अपनी पेंटिंग का कार्य पूर्ण किया तो उसके चेहरे पर एक गहरी चिर आत्मसंतुष्टि का भाव था, तब उन्हें अहसास हुआ जाने कब से द्वारपाल ने अपनी रचनात्मकता और भावनाएँ अंदर छुपाए रखी थी, जो बाहर आने के लिए बेताब रही होगी, जिसे उसने मां भगवती के चित्रण के माध्यम से बाहर निकाला और सबको बता दिया कि कला कोई भी हो, वह भाषा, सीमा और समय से परे होती है, वे मानवीय अनुभव के हिस्सा होते हैं, जो किसी न किसी रूप में अपनी जगह ठीक उसी तरह बना ही लेते हैं, जिस तरह से एक बीज अनुकूल मिट्टी, खाद और पानी मिलते ही पौधा बन जाता है।     
​     गांवों में शिक्षा, प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के लिए सुविधाएं बहुत सीमित होती हैं। जहां एक ओर शहर के बच्चे बचपन से ही खेल, संगीत या कला की कोचिंग लेने लगते हैं वहीं दूसरी ओर गांव के बच्चों को ऐसी सुविधाओं का नितांत अभाव रहता है। गांवों में अधिकांश परिवार जहां अपनी दैनिक जीवन की छोटी-छोटी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी संघर्ष करते रहते हैं, वहां वे ऐसे हालातों में अपने बच्चों की प्रतिभा को निखारने के लिए पैसा कहां से जुगाड़ेंगे, यह यक्ष प्रश्न है? यही सबसे बड़ा कारण है कि गांव के कई प्रतिभाशाली बच्चे अपनी पढ़ाई या कला को बीच में ही छोड़ देते हैं और परिवार की मदद करने में जुट जाते हैं। कई ​लोगों को तो यह भी पता नहीं होता कि उनकी या उनके बच्चों की प्रतिभा को कैसे निखार कर आगे बढ़ाया जाए। उन्हें यह भी जानकारी नहीं होती कि उन्हें सरकार की कौन-सी योजनाओं से सहायता मिल सकती हैं।
अशिक्षा, जागरूकता की कमी, डिजिटल दुनिया से दूर होने के कारण वे सूचनाओं से वंचित रह जाते हैं। अधिकांश मां बाप बच्चों से यही अपेक्षा रखते हैं कि वे जल्दी से नौकरी चाकरी या उनके साथ खेती-बाड़ी का काम कर हाथ बंटा लें, वे कला, संगीत या खेल को बच्चों के भविष्य के रूप में नहीं देख पाते हैं।
​        इस दिशा में यदि सरकार चाहे तो ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभाओं को खोजने और उन्हें निखारने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाकर, खेल अकादमियां, कला केंद्र और विज्ञान क्लब आदि खोलते हुए डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दें, तो गांव की छुपी प्रतिभाएं इन ऑनलाइन मंचों का उपयोग कर अपनी प्रतिभा को दुनिया के सामने रखने में समर्थ हो सकते हैं।

विशेष निवेदन

गांव के माता रानी के इस कला साधक को जिसे भी लगता है कि आगे बढ़ाना चाहिए वह कृपया द्वारपाल सिंह के फोन पे नं 7668351292 द्वारा मदद कर सकता है। आपकी एक छोटी से छोटी मदद से उसे प्रोत्साहन मिलेगा और वह अपनी कला को बेहतर ढंग से निखारने में सक्षम हो सकेगा।
जय माता रानी की।
... कविता रावत


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