आई दिवाली आई - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2016

आई दिवाली आई

दशहरा गया दिवाली आई
हो गई घर की साफ-सफाई
व्हाट्सएप्प और फेसबुक पर
लोग देने लगे बधाई
आई दिवाली आई
खुशियों की सौगात लाई

देखकर दुकानें दुल्हन सी सजी-धजी
मैं भी सरपट दौड़ी-भागी बाजार गई
खरीद लाई नये लत्ते-कपड़े घर भर के
अब कैसे कहूँ बड़ी कमरतोड़ है महंगाई
देख खुश हुई मुरझाये चेहरों की रौनक
बेरौनक बाजार में रंगत छाई
आई दिवाली आई
खुशियों की सौगात लाई

लगी है घर-दफ्तर की भागम-भाग
पर लक्ष्मी पूजन सामग्री भी लाना है
दीए, खील-बताशे, मिठाई, बम-पटाखे
उफ! लंबी सूची, पकवान भी बनाना है
दीपक बन उजियारा फैलाओ जग में
बात ये बड़े-बुजुर्गो ने है बताई
आई दिवाली आई
खुशियों की सौगात लाई

सबकी अपनी-अपनी दिवाली
सबके अपने-अपने ढँग हैं
धूम-धड़ाका देख तमाशा
जाने छिपे कितने रंग हैं
सबका अपना हिसाब-किताब यहाँ
सीधा हो या जुआड़ी-नशेड़ी भाई
आई दिवाली आई
खुशियों की सौगात लाई


ज्योति पर्व का प्रकाश आप सभी के जीवन को सुख, समृद्धि  एवं वैभव से आलोकित करे, इसी शुभकामना के साथ...... कविता रावत