बह चुके पानी से कभी चक्की नहीं चलाई जा सकती है
लोहे से कई ज्यादा सोने की जंजीरें मजबूत होती है
लोहे से कई ज्यादा सोने की जंजीरें मजबूत होती है
चांदी के एक तीर से पत्थर में भी छेद हो सकता है
एक मुट्ठी धन दो मुट्ठी सच्चाई पर भारी पड़ता है
निर्धन मनुष्य की जान-पहचान बहुत मामूली होती है
गरीब की जवानी और पौष की चांदनी बेकार जाती है
घर में दाने हों तो उसके पगले भी सयाने बनते हैं
गरीब अपने घर में भी परदेशी की तरह रहते हैं
अवसर बादल की तरह देखते-देखते गायब हो जाता है
बेवकूफ डंडा तो समझदार इशारे की भाषा समझता है
जरूरत से ज्यादा समझदार, समझदार नहीं कहलाते हैं
भले लोग भेड़ जैसे जो किसी को हानि नहीं पहुँचाते हैं
...कविता रावत