जय रघुनंदन तुमको वंदन तुम अविनाशी घट घट वासी - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025

जय रघुनंदन तुमको वंदन तुम अविनाशी घट घट वासी


जै रघुनंदन तुमको वंदन तुम अविनाशी घट घट वासी
जै रघुनंदन तुमको वंदन तुम अविनाशी घट घट वासी

सुंदर कमल सम मुख कर लोचन
लाल कमल सम सुंदर चरण तन
नव पल्लवित आभा नील कमल सम
तड़ित सम पीत वसन सुशोभित तन
सियापति राम को नमन वंदन
जै रघुनंदन तुमको वंदन तुम अविनाशी घट घट वासी

सूर्य सम तेज प्रकाशक दैत्य दानव वंश नाशक
रघुकुल आनंद दाता कौशल्या सुत दशरथ राजा
श्रवण कुंडल शीश मुकुट सुशोभित भाल तिलक
पुष्ट भुजा उदार विभूषित धनु सायक खर दूषण विजित
शंकर शेष मुनि मन रमन
जै रघुनंदन तुमको वंदन तुम अविनाशी घट घट वासी
जै रघुनंदन तुमको वंदन तुम अविनाशी घट घट वासी

प्रभु काम क्रोध लोभ हरो मम हृदय कमल वास करो
दयालु कृपालु भव भय हर्ता तुम सुखदायक सर्वव्यापी
जै रघुनंदन तुमको वंदन तुम अविनाशी घट घट वासी
जै रघुनंदन तुमको वंदन तुम अविनाशी घट घट वासी

... कविता रावत 

मेरे मन में कई वर्ष से भगवान श्रीराम जी की एक ऐसी आरती लिखने का मन में विचार था, जिसे प्रभु श्रीराम के सभी भक्तगण सरलता से उसका अंतर्मन से भजन वंदन कर सके, जो आज प्रभु कृपा से पूर्ण हुई। हमें पूर्ण आशा और विश्वास है कि हम सबके प्रभु श्रीराम जी की यह स्तुति पसंद आएगी और इसका भजन कीर्तन वंदन कर भगवान श्री रामचंद्र जी के सभी भक्तगण उनकी कृपा के पात्र बनेंगे। जै श्री राम।


4 टिप्‍पणियां:

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 11 सितंबर 2025 को लिंक की जाएगी है....

http://halchalwith5links.blogspot.in
पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

!

हरीश कुमार ने कहा…

बेहतरीन कविता, कविता जी 🙏

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर

Abhilasha ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना सखी