Kavita Rawat Blog, Kahani, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती......

दिसंबर 15, 2011 139
जिंदगी में हमारी अगर दुशवारियाँ नहीं होती हमारे हौसलों पर लोगों को हैरानियाँ नहीं होती चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था मुनासिब ह...
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शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है....

नवंबर 11, 2011 71
जहाँ उत्कृष्टता पाई जाती है वहाँ अभिमान आ जाता है। अभिमान आदमी की अपनी त्रुटियों का मुखौटा होता है।। बन्दर के हाथ हल्दी की गांठ लगी वह पंस...
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सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

दीप बन जग में उजियारा फैलाएं....

अक्तूबर 24, 2011 92
दीपावली की गहन अंधियारी रात्रि में जब हरतरफ पटाखों के शोरगुल और धुएं से उपजे प्रदूषण के बीच अन्धकार को मिटाने को उद्धत छोटे से टिम...
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शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

गरीब, कमजोर पर हर किसी का जोर चलने लगता है!

अक्तूबर 14, 2011 78
स्वर्ण लदा गधा किसी भी द्वार से प्रवेश कर सकता है। शैतान से न डरने वाला आदमी धनवान बन जाता है ।। अक्सर धन ढेर सारी त्रुटियों में...
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मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

रविवार, 11 सितंबर 2011

भूलते भागते पल

सितंबर 11, 2011 68
सुबह बच्चों का टिफिन तैयार करते समय किचन की खुली खिड़की से रह-रहकर बरसती फुहारें सावन की मीठी-मीठी याद दिलाती रही। सावन आते ही आँगन में नीम...
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मंगलवार, 23 अगस्त 2011

तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है

अगस्त 23, 2011 80
जो अपने आप गिर जाता है वह चीख़-पुकार नहीं मचाता है।  जो धरती पर टिका हो वह कभी उससे नीचे नहीं गिरता है। ।  नदी पार करने वाले उसकी गह...
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मंगलवार, 26 जुलाई 2011

शनिवार, 2 जुलाई 2011

बुधवार, 1 जून 2011

शुक्रवार, 20 मई 2011

मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

सदियों से फलता-फूलता कारोबार : भ्रष्टाचार

अप्रैल 26, 2011 60
भ्रष्टाचार! तेरे रूप हजार सदियों से फलता-फूलता कारोबार देख तेरा राजसी ठाट-बाट कौन करेगा तेरा बहिष्‍कार ! बस नमस्कार, नमस्‍कार ! र...
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रविवार, 3 अप्रैल 2011

धुन के पक्के इन्सां ही एक दिन चैंपियन बनते हैं

अप्रैल 03, 2011 48
जीत और हार के बीच झूलते, डूबते-उतराते विपरीत क्षण में भी अविचल, अविरल भाव से लक्ष्य प्राप्ति हेतु आशावान बने रहना बहुत मुश्किल पर न...
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शनिवार, 19 मार्च 2011

जल बिन भर पिचकारी कैसे खेलें होली ........

मार्च 19, 2011 57
बच्चों की परीक्षा समाप्ति के दो दिन बाद ही परिणाम भी। और फिर होली के दूसरे दिन से ही नए सत्र का आरंभ, मतलब भागम-भागम नहीं तो और क्या! स...
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बुधवार, 2 मार्च 2011

प्रभु! अपना तो कैलाश ही भला.....

मार्च 02, 2011 45
सभी ब्‍लागर साथियों और सुधि पाठकों को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें। इन दिनों आप  सबके ब्लॉग पर न आ पाने  के लिए क्षमा चाहती ह...
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गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011