Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

शुक्रवार, 11 मई 2012

रविवार, 15 अप्रैल 2012

गुरुवार, 15 मार्च 2012

दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है!

मार्च 15, 2012
सत्ता के सामने कभी सयानापन नहीं चलता है  जिसके हाथ बाजी उसकी बात में दम होता है कोई जंजीर सबसे कमजोर कड़ी से ज्यादा मजबूत नहीं होती है...
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बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

कई बार गुजरना पड़ता है परीक्षा से

फ़रवरी 22, 2012
परीक्षा कैसी भी हो और किसी की भी हो, परीक्षा परीक्षा होती है । यह परीक्षा के दिन अन्य दिन के मुकाबले किस तरह भारी पड़ते हैं, यह वही अच्छ...
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शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है....

नवंबर 11, 2011
जहाँ उत्कृष्टता पाई जाती है वहाँ अभिमान आ जाता है। अभिमान आदमी की अपनी त्रुटियों का मुखौटा होता है।। बन्दर के हाथ हल्दी की गांठ लगी वह पंस...
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रविवार, 11 सितंबर 2011

भूलते भागते पल

सितंबर 11, 2011
सुबह बच्चों का टिफिन तैयार करते समय किचन की खुली खिड़की से रह-रहकर बरसती फुहारें सावन की मीठी-मीठी याद दिलाती रही। सावन आते ही आँगन में नीम...
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मंगलवार, 23 अगस्त 2011

तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है

अगस्त 23, 2011
जो अपने आप गिर जाता है वह चीख़-पुकार नहीं मचाता है।  जो धरती पर टिका हो वह कभी उससे नीचे नहीं गिरता है। ।  नदी पार करने वाले उसकी गह...
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मंगलवार, 26 जुलाई 2011

शनिवार, 2 जुलाई 2011

बुधवार, 1 जून 2011

खुशमिजाज बुलबुल का मेरे घर आना

जून 01, 2011
जेठ की तन झुलसा देने वाली दुपहरी में लू की थपेड़ों से बेखबर मेरे द्वार पर मनीप्लांट पर हक़ जमाकर उसके झुरमुट में अपना घरौंदा बना कर बै...
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मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

सदियों से फलता-फूलता कारोबार : भ्रष्टाचार

अप्रैल 26, 2011
भ्रष्टाचार! तेरे रूप हजार सदियों से फलता-फूलता कारोबार देख तेरा राजसी ठाट-बाट कौन करेगा तेरा बहिष्‍कार ! बस नमस्कार, नमस्‍कार ! र...
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रविवार, 3 अप्रैल 2011

धुन के पक्के इन्सां ही एक दिन चैंपियन बनते हैं

अप्रैल 03, 2011
जीत और हार के बीच झूलते, डूबते-उतराते विपरीत क्षण में भी अविचल, अविरल भाव से लक्ष्य प्राप्ति हेतु आशावान बने रहना बहुत मुश्किल पर न...
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शनिवार, 19 मार्च 2011

जल बिन भर पिचकारी कैसे खेलें होली ........

मार्च 19, 2011
बच्चों की परीक्षा समाप्ति के दो दिन बाद ही परिणाम भी। और फिर होली के दूसरे दिन से ही नए सत्र का आरंभ, मतलब भागम-भागम नहीं तो और क्या! स...
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बुधवार, 2 मार्च 2011

प्रभु! अपना तो कैलाश ही भला.....

मार्च 02, 2011
सभी ब्‍लागर साथियों और सुधि पाठकों को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें। इन दिनों आप  सबके ब्लॉग पर न आ पाने  के लिए क्षमा चाहती ह...
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मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011