Kavita Rawat Blog, Kahani, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

मंगलवार, 29 मार्च 2016

ईर्ष्या और लालसा कभी शांत नहीं होती है

मार्च 29, 2016 20
मूर्ख लोग ईर्ष्यावश दुःख मोल ले लेते हैं। द्वेष फैलाने वाले के दांत छिपे रहते हैं।। ईर्ष्यालु व्यक्ति दूसरों की सुख सम्पत्ति देख दुबला ह...
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शुक्रवार, 11 मार्च 2016

आवाजों को नजरअंदाज न करें

मार्च 11, 2016 25
हमारे शरीर में नाक से लेकर घुटनों तक समय-समय पर कुछ आवाजें आती हैं। ये आवाजें शरीर का हाल बयां करती हैं। इन्हें नजरअंदाज न करें। इस बारे ...
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मंगलवार, 1 मार्च 2016

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

प्रकृति के आनन्द का अतिरेक है वसंत

फ़रवरी 11, 2016 24
व्रत ग्रंथों और पुराणों में असंख्य उत्सवों का उल्लेख मिलता है। ‘उत्सव’ का अभिप्राय है आनन्द का अतिरेक। ’उत्सव’ शब्द का प्रयोग साधारणतः त...
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सोमवार, 25 जनवरी 2016

हम भाँति-भाँति के पंछी हैं

जनवरी 25, 2016 30
हम भाँति-भाँति के पंछी हैं पर बाग़ तो एक हमारा है वो बाग़ है हिन्दोस्तान हमें जो प्राणों से भी प्यारा है हम  हम भाँति-भाँति के पंछी ……………...
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शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015

गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

सोमवार, 30 नवंबर 2015

शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

हर मनुष्य की अपनी-अपनी जगह होती है

नवंबर 20, 2015 19
हरेक पैर में एक ही जूता नहीं पहनाया जा सकता है। हरेक  पैर  के  लिए  अपना  ही जूता ठीक रहता है।। सभी लकड़ी तीर बनाने के लिए उपयुक्...
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मंगलवार, 10 नवंबर 2015

शनिवार, 7 नवंबर 2015

मंगलवार, 13 अक्तूबर 2015

गाय भारतीय जीवन का अभिन्न अंग है

अक्तूबर 13, 2015 18
हिन्दू साहित्य में गाय- प्राचीनकाल से ही भारत के जनमानस में गाय के प्रति सर्वोच्च श्रद्धा भाव रहा है। उसे राष्ट्र की महान धरोहर, लौकिक ...
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बुधवार, 7 अक्तूबर 2015

दो घरों का मेहमान भूखा मरता है

अक्तूबर 07, 2015 22
दो नावों पर पैर रखने वाला मझधार में डूबता है। दो घरों का मेहमान भूखा मरता है।। दुविधा में प्रायः अवसर हाथ से निकल जाता है। बहुत ...
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