Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

रविवार, 3 जून 2012

साईं बाबा के शिर्डीधाम में

जून 03, 2012
गर्मियों की छुट्टियाँ लगते ही बच्चे किताब-कापी बस्ते में बंद कर एक कोने में ऐसे पटक देते हैं जैसे कोई पुराना कबाड़ हो और फिर दुनिया भर क...
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रविवार, 20 मई 2012

शुक्रवार, 11 मई 2012

रविवार, 15 अप्रैल 2012

गुरुवार, 15 मार्च 2012

दूसरों के मामले में समझदार बनना आसान होता है!

मार्च 15, 2012
सत्ता के सामने कभी सयानापन नहीं चलता है  जिसके हाथ बाजी उसकी बात में दम होता है कोई जंजीर सबसे कमजोर कड़ी से ज्यादा मजबूत नहीं होती है...
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बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

कई बार गुजरना पड़ता है परीक्षा से

फ़रवरी 22, 2012
परीक्षा कैसी भी हो और किसी की भी हो, परीक्षा परीक्षा होती है । यह परीक्षा के दिन अन्य दिन के मुकाबले किस तरह भारी पड़ते हैं, यह वही अच्छ...
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गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

वर्ना मेरे गाँव में इतनी वीरानियाँ नहीं होती......

दिसंबर 15, 2011
जिंदगी में हमारी अगर दुशवारियाँ नहीं होती हमारे हौसलों पर लोगों को हैरानियाँ नहीं होती चाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता था मुनासिब ह...
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शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

अभिमान ऐसा फूल जो शैतान की बगिया में उगता है....

नवंबर 11, 2011
जहाँ उत्कृष्टता पाई जाती है वहाँ अभिमान आ जाता है। अभिमान आदमी की अपनी त्रुटियों का मुखौटा होता है।। बन्दर के हाथ हल्दी की गांठ लगी वह पंस...
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शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

गरीब, कमजोर पर हर किसी का जोर चलने लगता है!

अक्तूबर 14, 2011
स्वर्ण लदा गधा किसी भी द्वार से प्रवेश कर सकता है। शैतान से न डरने वाला आदमी धनवान बन जाता है ।। अक्सर धन ढेर सारी त्रुटियों में...
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रविवार, 11 सितंबर 2011

भूलते भागते पल

सितंबर 11, 2011
सुबह बच्चों का टिफिन तैयार करते समय किचन की खुली खिड़की से रह-रहकर बरसती फुहारें सावन की मीठी-मीठी याद दिलाती रही। सावन आते ही आँगन में नीम...
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मंगलवार, 23 अगस्त 2011

तिहरे धागे को तोड़ना आसान नहीं है

अगस्त 23, 2011
जो अपने आप गिर जाता है वह चीख़-पुकार नहीं मचाता है।  जो धरती पर टिका हो वह कभी उससे नीचे नहीं गिरता है। ।  नदी पार करने वाले उसकी गह...
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मंगलवार, 26 जुलाई 2011

शनिवार, 2 जुलाई 2011

बुधवार, 1 जून 2011

खुशमिजाज बुलबुल का मेरे घर आना

जून 01, 2011
जेठ की तन झुलसा देने वाली दुपहरी में लू की थपेड़ों से बेखबर मेरे द्वार पर मनीप्लांट पर हक़ जमाकर उसके झुरमुट में अपना घरौंदा बना कर बै...
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शुक्रवार, 20 मई 2011